BA Semester-1 Sanskrit - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2632
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत

प्रश्न- निम्नलिखित आचार्यों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये - 1. कौटिल्य (चाणक्य), 2. आर्यभट्ट, 3. वाराहमिहिर, 4. ब्रह्मगुप्त, 5. कालिदास, 6. धन्वन्तरि, 7. भाष्कराचार्य।

उत्तर-

1. कौटिल्य (चाणक्य) - कौटिल्य जिन्हें चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है, चौथी शती ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चन्द्रगुप्त (322-266 ई. पू.) के गुरु और प्रधानमन्त्री थे। कौटिल्य ने 'अर्थशास्त्र' नामक प्रसिद्ध ग्रन्थ की रचना की थी जिसमें उत्तरी और दक्षिणी भारत के व्यापारिक तथा राजनीतिक सम्बन्धों की भौगोलिक विवेचना की गई है। अर्थशास्त्र से राजनीति, भूगोल से सम्बद्ध महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। यह ग्रन्थ संस्कृत में लिखा गया है। इसकी शैली उपदेशात्मक और सलाहात्मक है। चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रशासकीय उपयोग के लिए इस ग्रन्थ की रचना की थी। यह मुख्यतः सूत्र शैली में लिखा गया संस्कृत ग्रन्थ है, अनावश्यक विस्तार से रहित, समझने और ग्रहण करने मे सरल एवं कौटिल्य द्वारा उन शब्दों में रचा गया है जिनका अर्थ सुनिश्चित हो चुका है। इसमें वास्तविक जीवन का चित्रण है। आचार्य कौटिल्य ने इसमें धर्म, अर्थ और काम का प्रणयन नहीं किया अपितु अधर्म, अनर्थ तथा अवांछनीय का बोध भी कराया है।

आचार्य चाणक्य ने तक्षशिला विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी की। तक्षशिला में चाणक्य ने न केवल छात्र, कुलपति और बड़े-बड़े विद्वानों को अपनी ओर आकर्षित किया बल्कि पड़ोसी राज्य के राजा पोरस से भी अपना परिचय बढ़ा लिया। सिंकदर के आक्रमण के समय चाणक्य ने पोरस का साथ दिया।

2. आर्यभट्ट - प्राचीन भारत (चौथी शताब्दी) के प्रसिद्ध खगोल विज्ञानी आर्यभट्ट का जन्म पाटलिपुत्र में हुआ था। आर्यभट्ट ने पृथ्वी की आकृति को गोलाभीय (Spherical) बताया और पृथ्वी के व्यास और परिधि का परिकलन किया। उन्होंने पृथ्वी की परिधि लगभग 24835 मील बतायी थी जो वर्तमान आकलन (24601 मील) के लगभग बराबर है। उन्होंने सूर्य ग्रहण और चन्द्रग्रहण का कारण सूर्य, चन्द्रमा और पृथ्वी के बीच बदलती स्थितियों को बताया और प्रतिपादित किया कि पूर्णिमा की रात में चन्द्रमा में पृथ्वी की छाया पड़ने पर चन्द्रग्रहण दिखायी पड़ता है। आर्यभट्ट की प्रमुख कृति 'आर्यभटटीयम' है। सर्वप्रथम उन्होंने ही खोज की थी कि सूर्य स्थिर है और पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है। इस प्रकार आचार्य आर्यभट्ट ने हमें पृथ्वी के वास्तविक स्वरूप का दर्शन कराया। आर्यभट्ट की एक और रचना 'सौर्यसिद्धान्तिका' भी है। भारत में भूगोल शब्द प्रतिपादित करने का श्रेय तथा शून्य की खोज करने का श्रेय आचार्य आर्यभटट को है।

3. वाराहमिहिर - वाराहमिहिर चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य (शासन काल 375-415 ई) के समकालीन थे और गुप्तकाल के दूसरे प्रसिद्ध खगोल विज्ञानी थे। उन्होंने 'पंचसिद्धानिका नामक ग्रन्थ लिखा जिसमें खगोलिकी की पाँच पद्धतियों की व्याख्या की गई है। वे पृथ्वी के किसी बिन्दु के अक्षाश ज्ञात करने की विधि से परिचित थे। उन्होने गणित में दशमलव के प्रयोग और महत्व से भारतीयों को अवगत करा दिया था। 'बृहजातक', 'बृहत्सहिता' और 'लघुजातक' वाराहमिहिर के अन्य प्रमुख ग्रन्थ हैं। वाराहमिहिर ने सिद्ध किया था कि चन्द्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है और पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है। उन्होंने ग्रहों के संचालन तथा अन्य खगोलीय समस्याओं के अध्ययन के लिए अनेक यूनानी कृतियों का भी सहारा लिया था।

4. ब्रह्मगुप्त - गुप्तकाल के तीसरे प्रमुख खगोलवेत्ता ब्रह्मगुप्त वाराहमिहिर के समकालीन थे। उन्होंने 'ब्रह्मसिद्धान्त' और 'खण्डखाद्य' नामक ग्रन्थ लिखे जिनमे खगोलिकीय भूगोल सम्बन्धी तथ्य और सिद्धान्त दिये गये हैं। उन्होंने तेल, जल और पारा से घूमने वाले कुछ यन्त्रों का भी वर्णन किया है। ब्रह्मगुप्त ने पृथ्वी का व्यास 1581 योजन (7605) मील बताया था। जो पृथ्वी के वास्तविक व्यास (7625 मील) के लगभग समान है। ब्रह्मगुप्त ने यह भी बताया कि द्रव्यमान वाले सभी शरीर पृथ्वी की ओर आकर्षित हैं।

5. कालिदास - संस्कृत साहित्य के महाकवि कालिदास को चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य (शासन काल 375 ई. 415 ई.) का समकालीन माना जाता है। चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के दरबार में नौ विद्वानों की एक मण्डली थी, जिसे 'नवरत्न' कहा गया है। कालिदास उन नवरत्नों में अग्रगण्य थे। कालिदास ने 7 ग्रन्थों की रचना की है जो इस प्रकार हैं- 1. रघुवंशम् 2. कुमारसंभवम् 3. मेघदूतम् 4. ऋतुसंहारम् 5. मालविकाग्निमित्रम् 6. विक्रमोर्वशीयम् 7. अभिज्ञानशाकुन्तलम्।

इनमें प्रकृति-चित्रण के साथ-साथ स्थानों और मार्गों का विवरण मिलता है। ऋतुसंहार में षड़ऋतु का वर्णन है। मेघदूत में मेघ पथ का भौगोलिक वर्णन मिलता है।

6. धन्वन्तरि - धन्वन्तरि प्रमुख आयुर्वेदाचार्य और चिकित्सा विज्ञान के प्रसिद्ध विद्वान थे। ये चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य की राज्यसभा के नौ रत्नों में से एक थे। इन्होंने चिकित्सा के उददेश्य से विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों की विशेषताओं और उनकी उपयोगिता का वर्णन किया है।

7. भाष्कराचार्य - बारहवीं शताब्दी (1114 ई) में एक महान गणितज्ञ और खगोलवेत्ता हुए जिन्हें भाष्कराचार्य के नाम से जाना जाता है। उन्होंने सिद्धान्त शिरोमणि' और 'करणकुतूहल नामक दो प्रसिद्ध ग्रन्थ लिखे थे। प्रथम ग्रन्थ में अंकगणित, बीजगणित, ज्यामिति और ज्योतिषशास्त्र सम्बन्धी जानकारी दी गयी है। दूसरे ग्रन्थ में कुछ प्रमुख अन्वेषणो का विवरण दिया गया है। भाष्कराचार्य ने बताया था कि पृथ्वी गोल है और उसमें गुरुत्वाकर्षण शक्ति विद्यमान है जिसके कारण वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। उन्होंने पृथ्वी को 360 में विभाजित किया और अक्षांश तथा देशांतर रेखाओं द्वारा नगरों की अवस्थित निर्धारित करने में उनका उपयोग किया। भाष्कराचार्य ने पृथ्वी को गोल मानकर ही सारी गणनायें की हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारतीय दर्शन एवं उसके भेद का परिचय दीजिए।
  2. प्रश्न- भूगोल एवं खगोल विषयों का अन्तः सम्बन्ध बताते हुए, इसके क्रमिक विकास पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- भारत का सभ्यता सम्बन्धी एक लम्बा इतिहास रहा है, इस सन्दर्भ में विज्ञान, गणित और चिकित्सा के क्षेत्र में प्राचीन भारत के महत्वपूर्ण योगदानों पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- निम्नलिखित आचार्यों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये - 1. कौटिल्य (चाणक्य), 2. आर्यभट्ट, 3. वाराहमिहिर, 4. ब्रह्मगुप्त, 5. कालिदास, 6. धन्वन्तरि, 7. भाष्कराचार्य।
  5. प्रश्न- ज्योतिष तथा वास्तु शास्त्र का संक्षिप्त परिचय देते हुए दोनों शास्त्रों के परस्पर सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- 'योग' के शाब्दिक अर्थ को स्पष्ट करते हुए, योग सम्बन्धी प्राचीन परिभाषाओं पर प्रकाश डालिए।
  7. प्रश्न- 'आयुर्वेद' पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
  8. प्रश्न- कौटिलीय अर्थशास्त्र लोक-व्यवहार, राजनीति तथा दण्ड-विधान सम्बन्धी ज्ञान का व्यावहारिक चित्रण है, स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- प्राचीन भारतीय संगीत के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  10. प्रश्न- आस्तिक एवं नास्तिक भारतीय दर्शनों के नाम लिखिये।
  11. प्रश्न- भारतीय षड् दर्शनों के नाम व उनके प्रवर्तक आचार्यों के नाम लिखिये।
  12. प्रश्न- मानचित्र कला के विकास में योगदान देने वाले प्राचीन भूगोलवेत्ताओं के नाम बताइये।
  13. प्रश्न- भूगोल एवं खगोल शब्दों का प्रयोग सर्वप्रथम कहाँ मिलता है?
  14. प्रश्न- ऋतुओं का सर्वप्रथम ज्ञान कहाँ से प्राप्त होता है?
  15. प्रश्न- पौराणिक युग में भारतीय विद्वान ने विश्व को सात द्वीपों में विभाजित किया था, जिनका वास्तविक स्थान क्या है?
  16. प्रश्न- न्यूटन से कई शताब्दी पूर्व किसने गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त बताया?
  17. प्रश्न- प्राचीन भारतीय गणितज्ञ कौन हैं, जिसने रेखागणित सम्बन्धी सिद्धान्तों को प्रतिपादित किया?
  18. प्रश्न- गणित के त्रिकोणमिति (Trigonometry) के सिद्धान्त सूत्र को प्रतिपादित करने वाले प्रथम गणितज्ञ का नाम बताइये।
  19. प्रश्न- 'गणित सार संग्रह' के लेखक कौन हैं?
  20. प्रश्न- 'गणित कौमुदी' तथा 'बीजगणित वातांश' ग्रन्थों के लेखक कौन हैं?
  21. प्रश्न- 'ज्योतिष के स्वरूप का संक्षिप्त विश्लेषण कीजिए।
  22. प्रश्न- वास्तुशास्त्र का ज्योतिष से क्या संबंध है?
  23. प्रश्न- त्रिस्कन्ध' किसे कहा जाता है?
  24. प्रश्न- 'योगदर्शन' के प्रणेता कौन हैं? योगदर्शन के आधार ग्रन्थ का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  25. प्रश्न- क्रियायोग' किसे कहते हैं?
  26. प्रश्न- 'अष्टाङ्ग योग' क्या है? संक्षेप में बताइये।
  27. प्रश्न- 'अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  28. प्रश्न- आयुर्वेद का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  29. प्रश्न- आयुर्वेद के मौलिक सिद्धान्तों के नाम बताइये।
  30. प्रश्न- 'कौटिलीय अर्थशास्त्र' का सामान्य परिचय दीजिए।
  31. प्रश्न- काव्य क्या है? अर्थात् काव्य की परिभाषा लिखिये।
  32. प्रश्न- काव्य का ऐतिहासिक परिचय दीजिए।
  33. प्रश्न- संस्कृत व्याकरण का इतिहास क्या है?
  34. प्रश्न- संस्कृत शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई? एवं संस्कृत व्याकरण के ग्रन्थ और उनके रचनाकारों के नाम बताइये।
  35. प्रश्न- कालिदास की जन्मभूमि एवं निवास स्थान का परिचय दीजिए।
  36. प्रश्न- महाकवि कालिदास की कृतियों का उल्लेख कर महाकाव्यों पर प्रकाश डालिए।
  37. प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्य शैली पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- कालिदास से पूर्वकाल में संस्कृत काव्य के विकास पर लेख लिखिए।
  39. प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्यगत विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- महाकवि कालिदास के पश्चात् होने वाले संस्कृत काव्य के विकास की विवेचना कीजिए।
  41. प्रश्न- महर्षि वाल्मीकि का संक्षिप्त परिचय देते हुए यह भी बताइये कि उन्होंने रामायण की रचना कब की थी?
  42. प्रश्न- क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं कि माघ में उपमा का सौन्दर्य, अर्थगौरव का वैशिष्ट्य तथा पदलालित्य का चमत्कार विद्यमान है?
  43. प्रश्न- महर्षि वेदव्यास के सम्पूर्ण जीवन पर प्रकाश डालते हुए, उनकी कृतियों के नाम बताइये।
  44. प्रश्न- आचार्य पाणिनि का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  45. प्रश्न- आचार्य पाणिनि ने व्याकरण को किस प्रकार तथा क्यों व्यवस्थित किया?
  46. प्रश्न- आचार्य कात्यायन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  47. प्रश्न- आचार्य पतञ्जलि का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  48. प्रश्न- आदिकवि महर्षि बाल्मीकि विरचित आदि काव्य रामायण का परिचय दीजिए।
  49. प्रश्न- श्री हर्ष की अलंकार छन्द योजना का निरूपण कर नैषधं विद्ध दोषधम् की समीक्षा कीजिए।
  50. प्रश्न- महर्षि वेदव्यास रचित महाभारत का परिचय दीजिए।
  51. प्रश्न- महाभारत के रचयिता का संक्षिप्त परिचय देकर रचनाकाल बतलाइये।
  52. प्रश्न- महाकवि भारवि के व्यक्तित्व एवं कर्त्तव्य पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- महाकवि हर्ष का परिचय लिखिए।
  54. प्रश्न- महाकवि भारवि की भाषा शैली अलंकार एवं छन्दों योजना पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- 'भारवेर्थगौरवम्' की समीक्षा कीजिए।
  56. प्रश्न- रामायण के रचयिता कौन थे तथा उन्होंने इसकी रचना क्यों की?
  57. प्रश्न- रामायण का मुख्य रस क्या है?
  58. प्रश्न- वाल्मीकि रामायण में कितने काण्ड हैं? प्रत्येक काण्ड का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  59. प्रश्न- "रामायण एक आर्दश काव्य है।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  60. प्रश्न- क्या महाभारत काव्य है?
  61. प्रश्न- महाभारत का मुख्य रस क्या है?
  62. प्रश्न- क्या महाभारत विश्वसाहित्य का विशालतम ग्रन्थ है?
  63. प्रश्न- 'वृहत्त्रयी' से आप क्या समझते हैं?
  64. प्रश्न- भारवि का 'आतपत्र भारवि' नाम क्यों पड़ा?
  65. प्रश्न- 'शठे शाठ्यं समाचरेत्' तथा 'आर्जवं कुटिलेषु न नीति:' भारवि के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  66. प्रश्न- 'महाकवि माघ चित्रकाव्य लिखने में सिद्धहस्त थे' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  67. प्रश्न- 'महाकवि माघ भक्तकवि है' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  68. प्रश्न- श्री हर्ष कौन थे?
  69. प्रश्न- श्री हर्ष की रचनाओं का परिचय दीजिए।
  70. प्रश्न- 'श्री हर्ष कवि से बढ़कर दार्शनिक थे।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  71. प्रश्न- श्री हर्ष की 'परिहास-प्रियता' का एक उदाहरण दीजिये।
  72. प्रश्न- नैषध महाकाव्य में प्रमुख रस क्या है?
  73. प्रश्न- "श्री हर्ष वैदर्भी रीति के कवि हैं" इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  74. प्रश्न- 'काश्यां मरणान्मुक्तिः' श्री हर्ष ने इस कथन का समर्थन किया है। उदाहरण देकर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  75. प्रश्न- 'नैषध विद्वदौषधम्' यह कथन किससे सम्बध्य है तथा इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  76. प्रश्न- 'त्रिमुनि' किसे कहते हैं? संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  77. प्रश्न- महाकवि भारवि का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनकी काव्य प्रतिभा का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- भारवि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- किरातार्जुनीयम् महाकाव्य के प्रथम सर्ग का संक्षिप्त कथानक प्रस्तुत कीजिए।
  80. प्रश्न- 'भारवेरर्थगौरवम्' पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
  81. प्रश्न- भारवि के महाकाव्य का नामोल्लेख करते हुए उसका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  82. प्रश्न- किरातार्जुनीयम् की कथावस्तु एवं चरित्र-चित्रण पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- किरातार्जुनीयम् की रस योजना पर प्रकाश डालिए।
  84. प्रश्न- महाकवि भवभूति का परिचय लिखिए।
  85. प्रश्न- महाकवि भवभूति की नाट्य-कला की समीक्षा कीजिए।
  86. प्रश्न- 'वरं विरोधोऽपि समं महात्माभिः' सूक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
  87. प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए ।
  88. प्रश्न- कालिदास की जन्मभूमि एवं निवास स्थान का परिचय दीजिए।
  89. प्रश्न- महाकवि कालिदास की कृतियों का उल्लेख कर महाकाव्यों पर प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्य शैली पर प्रकाश डालिए।
  91. प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि कालिदास संस्कृत के श्रेष्ठतम कवि हैं।
  92. प्रश्न- उपमा अलंकार के लिए कौन सा कवि प्रसिद्ध है।
  93. प्रश्न- अपनी पाठ्य-पुस्तक में विद्यमान 'कुमारसम्भव' का कथासार प्रस्तुत कीजिए।
  94. प्रश्न- कालिदास की भाषा की समीक्षा कीजिए।
  95. प्रश्न- कालिदास की रसयोजना पर प्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- कालिदास की सौन्दर्य योजना पर प्रकाश डालिए।
  97. प्रश्न- 'उपमा कालिदासस्य' की समीक्षा कीजिए।
  98. प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए -
  99. प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि के जीवन-परिचय पर प्रकाश डालिए।
  100. प्रश्न- 'नीतिशतक' में लोकव्यवहार की शिक्षा किस प्रकार दी गयी है? लिखिए।
  101. प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि की कृतियों पर प्रकाश डालिए।
  102. प्रश्न- भर्तृहरि ने कितने शतकों की रचना की? उनका वर्ण्य विषय क्या है?
  103. प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- नीतिशतक का मूल्यांकन कीजिए।
  105. प्रश्न- धीर पुरुष एवं छुद्र पुरुष के लिए भर्तृहरि ने किन उपमाओं का प्रयोग किया है। उनकी सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
  106. प्रश्न- विद्या प्रशंसा सम्बन्धी नीतिशतकम् श्लोकों का उदाहरण देते हुए विद्या के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  107. प्रश्न- भर्तृहरि की काव्य रचना का प्रयोजन की विवेचना कीजिए।
  108. प्रश्न- भर्तृहरि के काव्य सौष्ठव पर एक निबन्ध लिखिए।
  109. प्रश्न- 'लघुसिद्धान्तकौमुदी' का विग्रह कर अर्थ बतलाइये।
  110. प्रश्न- 'संज्ञा प्रकरण किसे कहते हैं?
  111. प्रश्न- माहेश्वर सूत्र या अक्षरसाम्नाय लिखिये।
  112. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए - इति माहेश्वराणि सूत्राणि, इत्संज्ञा, ऋरषाणां मूर्धा, हलन्त्यम् ,अदर्शनं लोपः आदि
  113. प्रश्न- सन्धि किसे कहते हैं?
  114. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।
  115. प्रश्न- हल सन्धि किसे कहते हैं?
  116. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।
  117. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।

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